Table of Contents
- 1 विधि शासन का अर्थ
- 2 विधि शासन का सिद्धान्त
- 3 विधि शासन की विशेषताएं
- 4 1. कानून की सर्वोच्चता
- 5 2. समानता और न्याय
- 6 3. पूर्वानुमानी और स्पष्टता
- 7 4. न्यायिका का निष्पक्षता और स्वतंत्रता
- 8 5. अधिकारों और स्वतंत्रताओं के कानूनी संरक्षण
- 9 6. उत्तरदायित्व और पारदर्शिता
- 10 7. न्याय पहुंच
- 11 विधि शासन का महत्व
- 12 1. इकाईकरण का साधन
- 13 2. सरकार के पावर की सीमा
- 14 3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा
- 15 4. विकास को संवर्धन
- 16 5. न्यायपूर्ण निर्णय और देशावासियों का विश्वास
- 17 6. कोरप्शन और भ्रष्टाचार का निरोध
विधि शासन का अर्थ
विधि शासन की परिभाषा? ‘विधि शासन’ का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति विधि से ऊपर नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति चाहे उसकी अवस्था या पद कुछ भी हो, देश की सामान्य विधियों के अधीन और साधारण न्यायालयों की अधिकारिता के भीतर है. राष्ट्रपति से लेकर देश का निर्धन से निर्धन व्यक्ति समान विधि के अधीन है और बिना औचित्य के किसी कृत्य के लिए समान रूप से उत्तरदायी है. इस सम्बन्ध में सरकारी अधिकारियों और साधारण नागरिकों में विभेद नहीं किया गया है | विधि शासन क्या है? |
विधि शासन का सिद्धान्त
विधि शासन (Rule of Law) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो लोकतांत्रिक समाज और कानूनी प्रणालियों के आधार को बनाए रखने के लिए प्रयुक्त होता है. इसका अर्थ है कि सभी व्यक्तियों और संस्थाओं, सरकारी अधिकारियों सहित, कानून के प्रभाव के अधीन होते हैं और उसका पालन करना होता है. किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाता है और सभी को इसके तहत समान संरक्षण और व्यवहार प्राप्त होता है.
विधि शासन का सिद्धान्त इंग्लैण्ड के प्रोफेसर डायसी द्वारा दिया गया. डायसी के अनुसार विधिशासन के निम्नलिखित तीन सिद्धान्त हैं-
- विधि को सर्वोच्चता या मनमानी शक्ति का अभाव;
- विधि के समक्ष समता;
- संविधान सामान्य विधि का परिणाम है.
डायसी के प्रथम दो सिद्धान्त भारत में मान्य हैं किन्तु तीसरा तत्व मान्य नहीं है क्योंकि भारत में व्यक्तियों के अधिकारों का स्रोत संविधान है.
भारत में अनुच्छेद 14 में विधि के शासन का सिद्धान्त समाहित हैं. अनुच्छेद 14 के अनुसार, “भारत राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से अथवा विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जायेगा.”
आर्टिकल 14 का प्रथम सिद्धान्त डायसी के विधि शासन सिद्धान्त से तथा दूसरा सिद्धान्त अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन से लिया गया है |
विधि शासन की विशेषताएं
विधि शासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-
1. कानून की सर्वोच्चता
कानून सर्वोच्च अधिकारी होता है और सभी सरकारी और व्यक्तिगत क्रियाएं इसके साथ आनुषासिक होनी चाहिए. किसी भी पद के व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता है.
2. समानता और न्याय
विधि शासन सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों को कानून के सामने समान और न्यायपूर्वक व्यवहार मिलता है. राशि, धर्म, जाति, लिंग, या सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.
3. पूर्वानुमानी और स्पष्टता
कानूनों को स्पष्ट, सुसंगत, और सभी के लिए पहचानने योग्य होना चाहिए. लोगों को यह समझने में सहायता मिलनी चाहिए कि उनसे क्या अपेक्षित है और उनके कार्यों के परिणाम क्या हो सकते हैं.
4. न्यायिका का निष्पक्षता और स्वतंत्रता
न्यायिका विधि शासन को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. वह राजनीतिक प्रभाव से स्वतंत्र होनी चाहिए और कानून की व्याख्या और लागू करने में निष्पक्ष रहनी चाहिए.
5. अधिकारों और स्वतंत्रताओं के कानूनी संरक्षण
विधि शासन सुनिश्चित करता है कि व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रताओं का कानूनी संरक्षण और पालन किया जाता है. इसमें दायित्वपूर्ण व्यवस्था, न्यायपूर्ण न्याय और सरकार से होने वाली तत्कालिक कार्रवाई से बचाव शामिल होता है.
6. उत्तरदायित्व और पारदर्शिता
सरकारी अधिकारियों और संस्थाओं को अपने कार्रवाईयों के लिए जवाबदेही उठानी चाहिए. न्यायपूर्ण निर्णय और शासन में पारदर्शिता भरोसा बनाए रखने में मदद करती है.
7. न्याय पहुंच
विधि शासन के तहत, व्यक्तियों को कानूनी उपाय और न्याय की खोज करने के लिए पहुंचने के लिए पहुंचने के लिए प्रभावी तंत्र होना चाहिए.
विधि शासन व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अनुकरणीयता, न्यायपूर्णता, स्वतंत्रता, और सावधानी से अमल करने की आवश्यकता होती है. यह एक सक्रिय लोकतंत्र और न्यायपूर्ण समाज के लिए महत्वपूर्ण अवधारणा है |
विधि शासन का महत्व
विधि शासन का महत्व एक सुदृढ़ संविधानिक और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. यह एक लोकतंत्र के नीतिगत सिद्धांत है, जो न्यायपूर्ण और समर्थ सरकार के लिए मार्गदर्शन करता है. निम्नलिखित कुछ कारण हैं जिनके कारण विधि शासन का महत्व निहित है-
1. इकाईकरण का साधन
विधि शासन सुनिश्चित करता है कि एक समान और न्यायपूर्ण कानूनी ढांचा सभी नागरिकों के लिए लागू होता है. इससे समाज में इकाईकरण एवं समानता की भावना उत्पन्न होती है.
2. सरकार के पावर की सीमा
विधि शासन राजनीतिक प्रशासन और सरकार के पावर की सीमा को निर्धारित करता है. इससे सरकार को सत्ता का दुरुपयोग, अधिकारी की ताक़त का अनुचित उपयोग, और असंविधानिक कदमों से बचाया जा सकता है.
3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा
विधि शासन व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संरक्षण करता है और अनुचित हस्तक्षेप से बचाता है. यह समाज में सामंजस्य, न्यायपूर्णता, और सभ्यता को सुनिश्चित करता है.
4. विकास को संवर्धन
विधि शासन सुनिश्चित करता है कि व्यवस्था में नियमित और न्यायपूर्ण संशोधनों के माध्यम से विकास को संवर्धित किया जा सके.
5. न्यायपूर्ण निर्णय और देशावासियों का विश्वास
विधि शासन द्वारा प्रदान किए गए न्यायपूर्ण निर्णयों और व्यवस्था के माध्यम से लोग सरकार और न्याय प्रणाली में विश्वास करते हैं. इससे समाज में सुरक्षा और स्थायित्व की भावना बढ़ती है.
6. कोरप्शन और भ्रष्टाचार का निरोध
विधि शासन के अंतर्गत, कोरप्शन और भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है क्योंकि न्यायाधीशों और न्यायपालिका के अधिकारियों को न्यायपूर्ण तथा निष्पक्ष निर्णय लेने की अधिक शक्ति होती है.
विधि शासन एक समृद्ध और समरसता से भरा समाज और एक सशक्त लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है. इससे समाज में अविश्वास, असुरक्षा, और असामंजस्यता का समाप्ति होती है और न्यायपूर्ण और समर्थ संविधानिक व्यवस्था का निर्माण होता है |