बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) पर विचार करने से पूर्व यहाँ हमें ‘अधिकार (Right)’ शब्द को जान लेना चाहिये. इसके सम्बन्ध में निम्नलिखित विधिशास्त्रीयों ने अपना मत दिया है-
ग्रे (Gray) के अनुसार, समाज द्वारा एक या अधिक व्यक्तियों पर विधिक कर्तव्य लागू करने के परिणामस्वरूप जब किसी व्यक्ति को दूसरे या दूसरों को कोई कार्य करने या न करने पर बाध्य करने की क्षमता प्राप्त होती है तब ऐसी क्षमता को विधिक अधिकार कहा जाता है.
आस्टिन (Austin) के अनुसार, एक व्यक्ति का अधिकार तब उत्पन्न होता है जब कोई दूसरा या दूसरे लोग उसके सम्बन्ध में कुछ करने या न करने के लिए विधि द्वारा आवद्ध हों.
हॉलैण्ड (Holland) के अनुसार, विधिक अधिकार राज्य की अनुमति तथा सहयोग द्वारा दूसरों के कार्यों को नियंत्रित करने की किसी व्यक्ति में निहित क्षमता है.
सामण्ड (Salmond) के अनुसार, मनुष्य के सामाजिक अधिकारों का समुच्चय उसकी सम्पत्ति निर्मित करती है जिसमें उसकी आस्तियाँ और अन्य सम्पत्ति सम्मिलित मानी जाती है, जबकि दूसरी ओर मनुष्य के व्यक्तिगत हितों का योग उसकी प्रास्थिति और व्यक्तिगत दशाओं का निर्माण करता है.
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि साम्पत्तिक अधिकार अन्तरणीय (Transferable) होता है. जबकि व्यक्तिगत हित अन्तरणीय नहीं होते हैं.
जहाँ तक बौद्धिक सम्पदा (Intellectual Property) का प्रश्न है; यह अधिकारों का वह समूह है जिसे विधि द्वारा मान्यता प्राप्त होती है. बौद्धिक सम्पदा के स्वामी को इन अधिकारों को प्रयोग करने का अनन्य अधिकार (Exclusive Right) होता है. जिस प्रकार मूर्त सम्पत्ति के स्वामी को उस सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार बौद्धिक सम्पदा का स्वामी बौद्धिक सम्पदा को समनुदेशित, अभ्यर्पित, अन्तरित या वसीयत करने का अधिकार रखता है |
बौद्धिक सम्पदा अधिकार क्या हैं?
बौद्धिक सम्पदा अधिकार वे विधिक अधिकार हैं. जो मानवीय बुद्धि के उत्पादों के उपयोग को विनियमित करते हैं. ये अधिकार स्वामी के स्पष्ट अनुमोदन के बिना किसी अन्य व्यक्ति को विषय-वस्तु का लाभ उठाने को प्रतिवारित करते हैं.
बौद्धिक सम्पदा अधिकार लेखकों, आविष्कारकों आदि की बौद्धिक स्वनात्मकता और आविष्कारशीलता को प्रोत्साहित, संवर्धित एवं संरक्षित करता है और गुणवत्तायुक्त माल और सेवाओं के विपणन को सरल बनाते हुए उपभोक्ताओं के हितों का भी संरक्षण करता है.
बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अन्तर्गत उन विचारों, व्यावहारिक ज्ञान, गोपनीय जानकारी आदि को संरक्षण प्रदान किया जाता है जो वाणिज्यिक तौर पर मूल्यवान होते हैं. बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में विश्व बौद्धिक सम्पदा जंगठन (World Intellectual Property Organisation) को स्थापित करने वाले अभिसमय (Convention) के अनुच्छेद 2 (7) के अनुसार, निम्नांकित से सम्बन्धित अधिकारों को सम्मिलित किया गया है-
- साहित्यिक, कलात्मक एवं वैज्ञानिक कृतियाँ;
- वैज्ञानिक खोज एवं औद्योगिक डिजाइन;
- ट्रेड मार्क, सर्विस मार्क, वाणिज्यिक नाम एवं पदनाम;
- मानवीय प्रयासों के सभी क्षेत्रों में आविष्कार;
- अनुचित प्रतिस्पर्धा के विरुद्ध संरक्षण; तथा
- औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक क्षेत्रों में बौद्धिक क्रियाशीलता से उत्पन्न होने वाले अन्य सभी अधिकार |
बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की प्रकृति
बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की प्रकृति विशिष्ट है और इसी कारण इसे पृथक विधि द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है. इसकी प्रकृति ‘नकारात्मक’ मानी जाती है क्योंकि इसके द्वारा बौद्धिक सम्पदा के अनधिकृत प्रयोग को निवारित किया जाता है. यह विचार का स्वत्वाधिकार होने से विचार के साथ ही गतिशील रहता है.
एक बौद्धिक सम्पदा अधिकार भले ही एक भौतिक वस्तु में निहित हो, उसे उस भौतिक वस्तु के रूप में नहीं पहचाना जा सकता; अपितु उसे उस विचार से ही जाना जा सकता है. अर्थात वह विचार जो इस अधिकार की विषय-वस्तु है. इसका कारण यह है कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार के स्वामी को अपने माल या सेवाओं के लिए बाजार का उपयोग करने के लिए अधिकार की आवश्यकता नहीं होती है. आविष्कारक द्वारा अपने आविष्कार का उपयोग करने के लिए पेटेन्ट पूर्ववर्ती शर्त (Condition Precedent) नहीं है. विधि अन्य लोगों को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का अतिक्रमण करने की स्वतंत्रता नहीं देती है.
कुछ ‘सकारात्मक’ अधिकार भी विधि द्वारा बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से जोड़े गये हैं, जैसे-
- अपेक्षित शर्तों का पालन कर दिये जाने पर प्रतिलिप्यधिकार को समनुदेशित व अनुज्ञापित करने का अधिकार;
- पेटेन्ट प्राप्त करने का अधिकार;
- ट्रेड मार्क के रजिस्ट्रीकरण का अधिकार;
- अतिलंघन की स्थिति में उपचार पाने का अधिकार आदि |