BNSS की धारा 36 क्या है? | Section 36 of BNSS

BNSS की धारा 36 क्या है? | Section 36 of BNSS

BNSS की धारा 36

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 36 के अनुसार, गिरफ्तारी करते समय प्रत्येक पुलिस अधिकारी-

  1. अपने नाम का सटीक, दृश्यमान और स्पष्ट पहचान चिह्न पहनें, जिससे उसकी आसानी से पहचान हो सके,
  2. गिरफ्तारी का ज्ञापन तैयार करें-
    • जिसे कम से कम एक गवाह द्वारा सत्यापित किया गया हो.
    • गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया गया हो.
  1. गिरफ्तार व्यक्ति को अपने रिश्तेदार को सूचित करने के उसके अधिकार के बारे में सूचित करें.

नोट: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 41b के समरूप है.

यह भी जाने : BNS धारा 1 क्या है? | बीएनएस के उद्देश्य एवं कारणों का कथन

BNSS की धारा 38

बीएनएसएस की धारा 38 के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्ति को पूछताछ के दौरान वकील से मिलने का अधिकार है, पूछताछ के दौरान नहीं.

नोट: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 41d के समरूप है.

BNSS की धारा 58

बीएनएसएस की धारा 58 के अनुसार, वारंट के बिना गिरफ्तार किए गए व्याक्ति को 24 घंटे से अधिक निरुद्ध नहीं किया जाएगा, 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए. चाहे अधिकारिता हो या ना हो.

नोट: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 57 के समरूप है।

जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1994)

इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तारी करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये गए थे और कहा गया था कि मात्र शक्ति का अस्तित्व होना, पुलिस अधिकारी को बिना उचित कारणों के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं देता है |

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