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गिरफ्तारी वारंट (Warrant) को संहिता में परिभाषित नहीं किया गया, परन्तु यह वह लिखत है जो व्यक्ति को गिरफ्तार करके मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित करने के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्षरित तथा जारी किया जाता है.
गिरफ्तारी का वारंट या वारंट
यह एक ऐसा आदेश है जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है. वारन्ट जारी करते समय न्यायालय बड़ी सावधानी बरतता है, क्योंकि गिरफ्तारी का वारन्ट किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त अथवा प्रतिबन्धित करता है.
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वारन्ट के प्रकार
गिरफ्तारी के वारन्ट दो प्रकार के होते हैं-
- जमानतीय वारन्ट (Bailable Warrant)
- गैर जमानती वारन्ट (Non-bailable Warrant)
1. जमानतीय वारन्ट
जमानतीय वारंट वह है जिसमें एक निदेश (Direction) रहता है कि गिरफ्तार व्यक्ति न्यायालय के सामने अपनी हाजिरी एक निर्धारित समय में देने के लिये पर्याप्त ज़मानत (Sufficient Sureties) सहित बाण्ड निष्पादित करे और इसके बाद वह तब तक हाजिर होता रहे जब तक न्यायालय अन्यथा निदेश न करे तो वह हिरासत (Custody) से छोड़ दिया जायगा. अतएव वारंट में निम्नलिखित बातें कथित होंगी-
- जमानत (Sureties) की संख्या.
- वह रकम जिसके लिए क्रमश: प्रतिभू (Surety) और वह व्यक्ति, जिसकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया गया, आबद्ध होने हैं.
- वह समय जब न्यायालय के समक्ष उसे हाजिर होना है.
अथवा जमानतीय वारन्ट के अन्तर्गत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निरपेक्ष रूप से आदेश नहीं होता. ऐसा वारन्ट जारी करने वाला अपने विवेकानुसार उस वारन्ट पर पृष्ठांकन द्वारा यह निदेश दे सकता है कि यदि किया जाने वाला व्यक्ति निश्चित तिथि एवं समय पर न्यायालय में उपस्थित होने के लिए तैयार है और इसके लिए यह प्रतिभू सहित बन्धपत्र निष्पादित कर देता है तो उस व्यक्ति को पत्र लेकर हिरासत से मुक्त किया जा सकेगा.
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2. गैर जमानती वारंट
गैर जमानती वारंट में वैसा उल्लेख नहीं रहता है जैसा कि जमानतीय वारंट में रहता है. गिरफ्तार व्यक्ति न्यायालय के सामने हिरासत में लाया जाता है जो उसके सामने उपस्थित होने के बाद उसे जमानत पर छोड़ देगा.
गिरफ्तारी का वारंट मामूली तौर से एक या अधिक पुलिस अधिकारियों को निदिष्ट होगा किन्तु यदि ऐसे वारंट का तुरन्त निष्पादन आवश्यक है और कोई पुलिस अधिकारी तुरन्त न मिल सके तो वारंट जारी करने वाला न्यायालय किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों को उसे निर्दिष्ट कर सकता है और ऐसा व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति उसका निष्पादन करेंगे. जब वारंट एक से अधिक अधिकारियों या व्यक्तियों को निर्दिष्ट है तव उसका निष्पादन उन सबके द्वारा, या उनमें से किसी एक या अधिक के द्वारा किया जा सकता है.
एक पुलिस अफसर जिसे वारंट निदेशित किया गया है, वह किसी अन्य पुलिस अधिकारी को निदेशित कर सकता है जिसका नाम वह वारंट पर पृष्ठांकित करेगा. जहाँ वारंट पहले पुलिस के किसी अफसर को निदेशित किया गया हो तो उसमें कथित अफसर के पद का भी उल्लेख होना चाहिये और उसका नाम उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है. किन्तु यदि कथित पुलिस अफसर द्वारा दूसरे को पृष्ठांकित किया जाय तो उस दूसरे पुलिस अफसर के नाम का उल्लेख कानूनी तौर से होना चाहिए.
गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को वारंट का सार बताया जायेगा और यह उसे दिखाया जायेगा. वह शीघ्र ही उस न्यायालय के सामने लाया जायगा जिसके सामने उसे हाजिर होना है. इसका निष्पादन भारत में किसी भी स्थान में किया जा सकता है.
कब गैर जमानती वारंट जारी किया जाना चाहिए?
गैर जमानती वारंट न्यायालय में किसी व्यक्ति को लाने के लिए जारी किया जाना चाहिए जब जमानतीय समन से वांछनीय (इच्छा योग्य) परिणाम प्राप्त होना असम्भव है. यह तब जारी किया जाता है जब यह विश्वास करना उचित है कि व्यक्ति स्वेच्छा से न्यायालय में नहीं उपस्थित होगा अथवा पुलिस अधिकारी समन तामील करने के लिए उसे पाने में असमर्थ हो अथवा यह विचार किया जाता है कि वह किसी को चोट पहुँचा सकता है यदि उसको तुरन्त हिरासत में नहीं लिया जाता |