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भारतीय अमेरिकी संविधान के उपबन्धों में कुछ अन्तर है. भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘संविधान के अतिक्रमण’ के लिए लगाया जा सकता है जब कि अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘राजद्रोह’, ‘घूस लेने’ और अन्य ‘अपराध’ करने के आधार पर लगाया जा सकता है.
भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?
राष्ट्रपति पर महाभियोग कौन कर सकता है? अनुच्छेद 61 के अनुसार, राष्ट्रपति पर केवल संविधान का उल्लंघन करने के लिये ही महाभियोग चलाया जा सकता है. महाभियोग चलाने के लिये अग्रलिखित प्रक्रिया के अनुसार, संसद के किसी भी सदन द्वारा अभियोग दाखिल किया जा सकता है-
- प्रस्तावित आरोप एक संकल्प (Resolution) के रूप में न हो.
- महाभियोग का अभियोग दाखिल करने के लिये उसे एक संकल्प में प्रस्तावित किया जायगा और इस संकल्प को सदन में पेश करने के आशय की सूचना लिखित 14 दिन पहले, उस सदन के सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम 1/4 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित की जानी चाहिये और उसके बाद उस संकल्प को सदन के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत द्वारा पारित किया जाना चाहिये.
- इसके बाद संसद का दूसरा सदन उस अभियोग की जाँच-पड़ताल करेगा या अभियोग की जाँच-पड़ताल करायेगा इस जाँच-पड़ताल में राष्ट्रपति को अपनी पैरवी और प्रतिनिधित्व करने का अधिकार होगा.
- यदि ऐसी जाँच-पड़ताल के परिणामस्वरूप दूसरा सदन भी अपने 2/3 बहुमत से उस संकल्प को इस घोषणा के साथ पारित कर देता है कि राष्ट्रपति के विरूद्ध लगाया गया अभियोग सिद्ध हो गया है, तो जिस तारीख को संकल्प इस तरह से पारित किया गया है, उस तारीख से राष्ट्रपति को उसके पद से हटा दिया जायगा |
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अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?
अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया अमेरिकी संविधान में भी वहाँ के राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाने की व्यवस्था की गई है। किन्तु अन्तर दो बातों का है-
- अभियोग के आधार.
- प्रक्रिया में यह है कि भारत में जहाँ अभियोग का आधार केवल संविधान का उल्लंघन हो सकता है, वहाँ अमेरिका में राजद्रोह, घूँस लेने और अन्य अपराध के आधार पर महाभियोग का अभियोग लगाया जा सकता है. अमेरिका में अभियोग केवल निम्न सदन में ही लगाया जा सकता है. यह सदन अभियोग की जाँच करने के लिये एक न्यायिक समिति नियुक्त करता है और तब इस जाँच के परिणाम को सीनेट में भेजा जाता है. सीनेट में महाभियोग की सुनवाई के समय सीनेट की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधिपति करता है. यदि सीनेट अपने दो तिहाई बहुमत से आरोपों को सिद्ध मान लेता है, तो राष्ट्रपति दोषसिद्ध हो जाता है और उसे उसके पद से हटा दिया जाता है |
भारत और अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया में अंतर
भारतीय अमेरिकी संविधान के उपबन्धों में कुछ अन्तर है. भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘संविधान के अतिक्रमण’ के लिए लगाया जा सकता है जब कि अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘राजद्रोह’, ‘घूस लेने’ और अन्य ‘अपराध’ करने के आधार पर लगाया जा सकता है.
अमेरिका में महाभियोग के आरोप लगाने की कार्यवाही केवल निम्न सदन द्वारा प्रारम्भ की जा सकती है. यह सदन आरोप की जांच के लिए न्यायिक समिति नियुक्त करता है. इस जांच के परिणाम को सीनेट में भेजा जाता है. जिस समय सीनेट में महाभियोग की सुनवाई होती है उस समय अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधिपति सीनेट की अध्यक्षता करता है यदि सीनेट अपने 2/3 बहुमत से आरोपों को मान लेता है तो राष्ट्रपति दोषसिद्ध हो जाता है और अपने पद से हटा दिया जाता है |