भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध या जानबूझकर स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दण्ड से संबंधित है. इस धारा के अनुसार, जो कोई जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाता है, वह स्वेच्छा से चोट पहुँचाने का अपराध करता है.
जो नुकसान पहुंचाता है उसका इरादा उस व्यक्ति का होना चाहिए जो इसे पहुंचाता है या उसे पता होना चाहिए कि इससे नुकसान होने की संभावना है, और इसे किसी अपराध को रोकने या टालने के उद्देश्य से अच्छे विश्वास में नहीं किया जाना चाहिए.
चोट पहुँचाने का कार्य किसी भी माध्यम से किया जा सकता है, और इसमें बल का उपयोग करना, शरीर पर कोई पदार्थ लगाना या किसी वस्तु को हिलाना शामिल है. गंभीर चोट पहुंचाने या मौत का कारण बनने वाले अधिक गंभीर अपराधों की तुलना में इस अपराध को कम गंभीर माना जाता है.
धारा 323 के तहत स्वेच्छा से चोट पहुँचाने की सजा मामले की परिस्थितियों के आधार पर भिन्न होती है. दोषी पाए जाने पर अपराधी को एक साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है.
स्वेच्छा से उपहति कारित करने का दंड नहीं प्रदान किया जाता है. इस धारा के तहत केवल इन्सान को छोटे से चोट पहुंचाने का अपराध शामिल होता है, जिसमें इरादतन या ज्ञात होना आवश्यक होता है कि यह चोट पहुंचाने वाले व्यक्ति द्वारा इच्छित है या उसे ज्ञात है कि चोट पहुंचाने से यह अपराध हो सकता है.
उपहति (किसी भी व्यक्ति को चोट करना.) कारित करने के लिए दंड बढ़ाने के लिए धारा 324 का उपयोग किया जाता है. धारा 324 द्वारा प्रदान किए गए दंड में शामिल हो सकते हैं-
- किसी व्यक्ति को अहति पहुंचाने के इरादे के साथ गंभीर चोट कारित करना, जिससे शरीर के किसी भाग में हथियार, गोली, तेजाब, अंगारा या कोई दूसरा चुभने वाला वस्त्र डाला जाता है, ताकि उससे अघोषित चोट पहुंचे.
- इस चोट से गंभीर चोट का कारण हो सकता है, जो जीवन खतरे के साथ सामर्थ्य देती है, या जिससे शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य में स्थायी क्षति हो सकती है.
धारा 324 के अनुसार, यदि कोई अपराधी दोषी पाया जाता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया में दोषी ठहराया जा सकता है. धारा 324 के तहत दंड संज्ञान में आने पर अपराधी को तीन साल की कारावास, जुर्माना, या दोनों मिलकर हो सकता है. यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सटीक सज़ा अदालत द्वारा मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित की जा सकती है |