Table of Contents
संविधान क्या है?
संविधान एक ऐसा मैलिक दस्तावेज है जो राज्य के तीनों अंगों अर्थात कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की स्थिति एवम् शक्तियों को स्पष्ट करता है. यह केवल राज्य के अंगों का सृजन नहीं करता, बल्कि अनेकों पदाधिकार परिसपारित करते हुए उन्हें निरंकुश और तनाशाह होने से रोकता है.
संविधान एक राष्ट्र की सर्वोच्च कानूनी व्याख्या करता है, जिसमें उस देश के नागरिकों के मूल अधिकार, संरचना, शासन व्यवस्था और राजनीतिक प्रक्रिया तय की जाती है. संविधान, राजनीतिक एवं विधि सामाजिक संरचना को प्रतिष्ठित रूप से निर्धारित करने के लिए संरचित का संक्षिप्त रूप होता है.
संविधान निम्नलिखित मुख्य तत्वों पर आधारित होता है-
1. मौलिक अधिकारों का निर्धारण
संविधान मौलिक अधिकारों को निर्धारित करता है जो सभी नागरिकों को संरक्षण और सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं, जैसे स्वतंत्रता, जीवन, स्वतंत्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता और विचारवादीता.
2. राज्य की संरचना
संविधान देश की संरचना को निर्धारित करता है, जैसे शासन के अलग-अलग स्तर, राज्यों और केंद्र के संबंध में शक्तियों का वितरण और इसके संचालन के नियम.
3. शासन व्यवस्था
संवैधानिक देश की शासन व्यवस्था किसी राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, निर्वासित और अधिकारियों के नियंत्रण और शक्तियों के वितरण की तरह स्थापित की जाती है.
4. राजनीतिक प्रक्रिया
संविधान देश की राजनीतिक प्रक्रिया को स्थापित किया जाता है जैसे राजनेता चुनाव, नीतियां बनाना और संशोधन.
संविधान एक देश के संपूर्ण नागरिकों के लिए सामान और अनुशासन होता है, और सरकार, धार्मिक अधिकारियों, नेताओं और नागरिकों के बीच आम सहमति को स्पष्ट करने में मदद करता है. यह राष्ट्रों के संघर्ष, सामाजिक लोकतंत्र और विकास के माध्यम से समय-समय पर राष्ट्रवाद भी किया जा सकता है.
भारतीय संविधान का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और भारत के संविधान निर्माता सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को इसका संस्करण प्राप्त किया गया जिसे 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से प्रभावी बनाया गया था. इस दिन को भारतीय गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है |
संविधान सभा का गठन
भारतीय संविधान सभा (भारत की संविधान सभा) का गठन 9 दिसंबर 1946 को हुआ था. यह भारतीय सभा संविधान निर्माता सभा का नाम से भी जाना जाता है. इस सभा का उद्देश्य भारत के संविधान के निर्माण के लिए एक संसदीय समिति के रूप में काम करना था.
संविधान सभा में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के सदस्यों का चयन सदस्यों का समूह था. इसमें भारतीय राजनीतिक संप्रदायों, धार्मिक संप्रदायों, सामाजिक विद्वानों और अन्य संप्रदाय के प्रमुख समूहों ने एकजुट होकर संविधान निर्माण के लिए सहयोग किया था.
संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) को अध्यक्ष चुना गया था और डॉ. बी. आर. अम्बेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) ने संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई थी. भारतीय संविधान सभा का कार्य 26 नवंबर 1949 तक चलता रहा और संविधान को 26 नवंबर 1949 को स्वीकृति दी गई थी. इसके बाद, भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को पूर्णतः प्रभावी हो गया |
भारत का संविधान कब लागू हुआ?
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. इस दिन भारतीय संविधान का पूर्ण रूप से प्रभावशाली होने का दिन घोषित किया गया, जिससे भारत गणतंत्र के रूप में बन गया. संविधान निर्माता सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को परिवर्तित किया गया था, लेकिन यह पूर्णतः प्रभावी होने के लिए यह तिथि तय की गई. इसी दिन से हर वर्ष 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ?
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू होने का कारण इस दिन को भारत का गणतंत्र दिवस घोषित किया जाना था. इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन भारत की जनता को आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र गणराज्य के रूप में एक नया संविधान मिला था.
संविधान निर्माता सभा (संविधान सभा) ने भारतीय संविधान का निर्माण किया था, जिसमें मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और सरकार की संरचना के बारे में स्पष्ट निर्देश थे. यह संविधान गणतंत्र के सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों को संरक्षित करता है और सरकार के अंतर्निहित तंत्र को परिभाषित करता है.
संविधान निर्माता सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को परिवर्तित किया गया था, लेकिन संविधान को पूर्ण रूप से प्रभावी बनाने का निर्णय 26 जनवरी 1950 को लिया गया था. इस दिन से भारत गणराज्य के रूप में गणतंत्र बन गया और भारतीय संविधान आधिकारिक रूप से प्रभावी हो गया. इसी दिन से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिससे भारत के संविधान के प्रभाव की याद आती है और देश को आजादी और संविधान के प्रति गौरव महसूस होता है |